Allah Ka Zikr Kaise Kare | Allah Ka Zikr Karne Ka Tarika

दोस्तो आज हम allah ka zikr kaise kare इस टॉपिक पर बात करने वाले है आज की पोस्ट में हम allah ka zikr करने के आदाब सीखेंगे दोस्तों allah ka zikr एक ऐसी दौलत है जो हर किसी को नसीब नही होती नसीब वालो को allah अपने zikar की तौफीक देता है तो हम इस काम को zikar ke aadab के साथ करेंगे तो हमे ज्यादा फायदा मिलेगा तो ज्यादा देर न करते हुए आज हम इस post में सीखते है allah ka zikr kaise kare

Allah Ka Zikr Kaise Kare

Allah Ka Zikr Kaise Kare | Allah Ka Zikr


दोस्तो उलमा ए किराम हमे quran और hadees की रोशनी में zikrullah ke aadab हमे बताए है जो इस तरह है 


1.जीकर करने वाला जिस जगह पर बैठ कर zikar करने वाला है वो जगह उन तमाम चीजों से जो ध्यान को भटकाने वाली और परागंडा खयालात को पैदा करने वाली चीजों से पाक और साफ होनी चाहिए.


2. और zikar करने वाला dua ke Aadab में खुशु खुजू, इखलास, जाहीरी बतिनी पाकी साफ सफाई का भी खयाल करे क्युकी zikrullah सब से अफजल इबादत है इस लिए इसमें दुआ से ज्यादा अदब और एहतराम की ज्यादा जरूरत होती है.


3. और zikar करने वाले की जबान और मुंह बिलकुल साफ होनी चाहिए अगर किसी चीज़ की 

बदबू मुंह मे हो तो उसे miswak कर के उसे जरूर दूर कर लेना चाहिए.


4. और अगर किसी जगह बैठ कर zikar कर रहा है तो उसका रुख किबले की तरफ होना चाहिए.


5. और आजीजी इंकेसारी सुकून इत्मीनान वकार और एहतेमाम और दिल की पूरी तवज्जो के साथ allah ka zikr के लिए बैठे.


6. और जो भी allah ka zikr करे उसके माना और मफहुम को अच्छी तरह समझे और गोर फिक्र कर के अच्छी तरह zikar करे.


7. और अगर कोई zikar के मानी न जानता हो तो उसे चाहिए के किसी aalim से पूछ ले और अच्छी तरह समझ ले .


Allah Ka Zikr Me Kya Padhe | अल्लाह का जिक्र में क्या पढ़े.


8. और zikr की तादाद ज्यादा करने के चक्कर में जल्द बाजी न करे इस लिए उलमा ने kalma e tayyaba के जिक्र में la ilaha illallah muhammadur rasulullah में la के मद को खूब अच्छी तरह खींचने इललाह पर जोर देने को मुस्तहब फरमाया है .


9. और जो भी zikr huzur rasulullah sallallahu alaihi wasallam से साबित है चाहे वो वाजिब हो या चाहे वो मुस्तहब हो जब तक उसको जुबान से इस तरह अदा न करे के खुद सुन ले तो उस वक्त तक उस zikr का कोई एतबार नहीं ( यानी दिल ही दिल में सोचना zikr नही कहलाता)


10. और सब से ज्यादा fazilat वाला zikr quran shareef है बजुज उस zikr के जो सरई 

nabi muhammad rasulullah sallallahu alaihi wasallam से खुशुसीयत के साथ साबित है ( के उस जगह वही zikar करना चाहिए जो आप ने बताया है मिसाल के तौर पर रुकु में subhana rabbiyal azeem बतलाया है और सजदह में subhana rabbiyal a'la बतलाया है लिहाजा रुकु और सजदह में यही पढ़ना चाहिए quran shareef नही पढ़ना चाहिए इसी लिए आप ने रुकु और सजदह में quran kareem को पढ़ने से मना फरमाया है.


Allah ka Zikr Ka Tarika | अल्लाह के जिक्र का तरीका

Allah Ka Zikr Kaise Kare

 

11. और Zikrullah की फजीलत तहलील ( la ilaha illallah ) और तस्बीह (subhanallah) और तकबीर ( allahu akbar) ये मुख्तसर नहीं है बल्कि किसी भी अमल (कोल या फेल) में allah ki ataat करने वाले allah ka zikr करने वाले है और उनका वह अमल allah ka zikr है.


12. और जब बंदा rasulullah sallallahu alaihi wasallam से मनकुल मुख्तलिफ अज़कार मुख्तलिफ हालत और मुख्तलिफ वक्त में रात दिन सुबह शाम पाबंदी से पढ़ता रहेगा तो allah tala के यहां कसरत से allah ka zikr करने वाले मर्दों और अल्लाह का जीकर करने वाली औरतों में शामिल हो जीएगा(जिनका जिक्र quran shareef में आया है)


13. और जिस शख्स को कोई wazifa रात या दिन के किसी हिस्से में या किसी namaz के बाद या इनके अलावा किसी भी वक्त और हालत में मुकर्रर हो ( और वह पाबंदी के साथ इसको पढ़ा करता हो) और किसी दिन छूट जाए तो उसकी कजा जरूर कर लेनी चाहिए और जिस वक्त भी मुमकिन हो उसे पढ़ लेना और उसे पूरा कर लेना चाहिए और उस zikr को बिलकुल ही नही छोड़ना चाहिएं टाके पाबंदी की आदत बरकरार रहे (उसकी कजा सुस्ती में हरगिज नहीं करनी चाइए)

ये सख्त मुजीर है.


Canclusan


दोस्तों आज हमने allah ka zikr kaise kare इसको आज की ब्लॉग पोस्ट में हमने पढ़ा और सीखा के allah ka zikr kaise kare ना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए क्या पढ़ना चाहिए और क्या नहीं पढ़ना चाहिए दोस्तो ये सारे allah ka zikr karne ke Aadab आप खुद भी याद करे और zikar के वक्त इस पर अमल करते हुए दूसरो को भी सिखाए और अपने दोस्तो को इस islamic post को सिखाने की और deen ki baatein फेलाने की नियत से shere जरूर करे हमारी कोई गलती दिखें तो कॉमेंट कर के हमारी islah करे आज का ब्लॉग यही पर खत्म करते है अपनी dua में हमे और पूरी उम्मत को याद रक्खे.


Allah Hafiz 


FAQ

Q-1 अल्लाह को याद करने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?

अल्लाह को याद करने का सब से अच्छा तरीका यह है के जिक्र करने वाला दुआ के साथ में खुशु खुजू, इखलास, जाहीरी बतिनी पाकी साफ सफाई का भी खयाल करे कुरान की तिलावत, मस्नुन दुआए और अल्लाह का जीकर जो हदीस में आया है उसको पढ़े सब से अफजल इबादत है इस लिए इसमें दुआ से ज्यादा अदब और एहतराम की ज्यादा जरूरत होती है.

Q-2 अल्लाह का ज़िक्र क्या है?

दोस्तो अल्लाह का जिक्र उसको याद करना उन कालीमत से जिसकी फजीलत हदीस में आई है जैसे तहलील ( la ilaha illallah ) और तस्बीह (subhanallah) और तकबीर ( allahu akbar) ये मुख्तसर नहीं है बल्कि किसी भी अमल (कोल या फेल) में अल्लाह की इताआत करने वाले अल्लाह का जिक्र करने वाले है और उनका वह अमल अल्लाह का जिक्र है.

Q-3 अल्लाह का जिक्र करने का तरीका क्या है?

अल्लाह का जिक्र करने का कोई खास तरीका मुकर्रर नही है हर कोई चलते फिरते उठते बैठते अल्लाह का जिक्र कर सकता है लेकिन अल्लाह का जिक्र करने के कुछ आदाब बताए है जो इस पोस्ट में बताए गए है इस तरह अल्लाह का जिक्र करेंगे तो फायदा ज्यादा होगा इंशा अल्लाह.

Q-4 क्या अल्लाह का जिक्र जुबान से बोलना जरूरी है ?

हा अल्लाह का जिक्र जुबान से इतना बोलना जरूरी है के जिक्र करने वाला खुद सुन सके क्योंकि और जो भी zikr huzur rasulullah sallallahu alaihi wasallam से साबित है चाहे वो वाजिब हो या चाहे वो मुस्तहब हो जब तक उसको जुबान से इस तरह अदा न करे के खुद सुन ले तो उस वक्त तक उस zikr का कोई एतबार नहीं ( यानी दिल ही दिल में सोचना zikr नही कहलाता)

Q-5 क्या जल्दी जल्दी ला इलाह इल्ललाह का जिक्र कर सकते है?

जी नहीं ऐसा हर गिज न करे, क्युकी जिक्र की तादाद ज्यादा करने के चक्कर में जल्द बाजी न करे इस लिए उलमा ने कलमा ए तैयबा के जिक्र में ला इलाह हा इल्लालाह में la के मद को खूब अच्छी तरह खींचने इल्लाह पर जोर देने को मुस्तहब फरमाया है


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