Fazail E Gasht In Hindi | Adab E Gasht In Hindi

दोस्तो आज हम fazail e gasht in hindi इस islamic topic पर बात करने वाले है allah ने इस गए गुजरे दौर में हम को dawat e tablig की कीमती मेहनत अता फरमाई है इसका एक amal है Fazail E Gasht जितना ऊंचा अमल है उतने gasht ke Aadab भी है अगर इसको उसूल के साथ करेंगे तो बस्ती में हिदायत फैलेगी तो हम को tabligi gasht के आदाब सीखने चाहिए तो दोस्तो आज की blog post में fazail e gasht in hindi में हम सीखेंगे तो ज्यादा देर न करते हुए आज का islamic artical शुरू करते है.

Fazail E Gasht In Hindi

 Fazail E Gasht In Hindi | Fazail E Gasht 

वमां खलकतुल जिन्ना वल इनस इल्ला लीयअ बुदुन 

(surah al jariyah 65)

मैंने अभी आप हजरात के सामने quran shareef की एक आयत ए करीमा तिलावत की है इस आयत ए करीमा में अल्लाह तआला ने इंशान को पैदा करने का मकसद बतलाया है quran ki aayat ka tarjuma 

मैने इंसान और जिन्नात को मेरी इबादत के लिए पैदा फरमाया है , इसका मतलब यह हुआ के ईशान और जिन्न को पैदा करने का मकसद allah tala की मअरिफत है , अब allah tala ki marifat करवाने के लिए नबियों का सिलसिला शुरू फरमाया और وقتا فوقتا اللہ allah tala जरूरत के हिसाब से अंबिया और रसूल को भेजते रहे और allah tala kim ma marifat करवाते रहे,

Fazail E Gasht Hindi

Fazail E Gasht

      ये बात याद रखिए marifat ईशान की फितरत मैं से है यही वजह है के imam abu hanifa r.a फरमाया करते थे के अगर allah tala किसी नबी या किसी रसूल को न भेजते तो भी इंसान के लिए जरूरी था के allah tala को माने क्युकी अल्लाह ताला का मानना ईशान की फितरत में से है , इस लिए जब aalam e arwah में अल्लाह तआला ने तमाम इंशानो की रूहो को जमा किया था और कहा था क्या में तुम्हारा रब नही हूं? तो तमाम रूहों ने जवाब दिया था के क्यूं नही?आप ही हमारे रब है तो aalam e arwah में इंसान ने allah tala को अपना rab मान लिया था उस waqt से इंसान को allah ki marifat हो चुकी थी.

      इंसान में allah tala ki yaad है इस बात की दलील ये है की जब जलजला आता है तो इंसान अल्लाह ताला की तरफ मुतावजे होता है पक्का kafir ही क्यों न हो , पक्का दहेरियाह ( दहेरियाह अल्लाह के न मानने वाला? ही क्यूं न हो अल्लाह ताला की तरफ मशगूल होता है.

इसकी एक मिशाल समझिए एक आलिम ने मदरसा में नो साल गुजारे है aalim फारिग हो कर आ गया अब इस बात की क्या दलील है के इस aalim ne madrsa में नो साल गुजारे है तो इसकी दलील ये है की इसमें इल्मी इस्तेदादा मौजूद है अगर वह madarsa में नो साल न गुजरता तो ये istidad न होती,istidad का होना इस बात की दलील है की इस aalim ने madarsa में नौ साल गुजारे है अगर चे आलिम को मालूम नही है कोन से दिन में कोनसा सबक पढ़ा था और इनमे क्या क्या बाते बतलाई गई थी ,लेकिन इसमे इलमी ilmi istidad है ये इस बात की alalamt है के इस aalim ने नो साल मदरसे में गुजारे है , इस तरह हम भी aalam e arwah allah tala ki marifat कर चुके ,अगर चे वो दिन हमे मालूम नही है लेकिन alamat मौजूद है के किसी हादसा और किसी मुसीबत के वक्त ईशान अल्लाह ताला की तरफ मुतवज्जेह होता है, ये इस बात की दलील है के हमें अल्लाह तआला की मअरीफट हासिल है.

Gasht Ki Baat

बहर हाल साबित हो गया के इंसान को अल्लाह ताला की मारिफत हासिल है फिर अल्लाह ताला का एहसान हुआ के ईशान को अपनी marifat की याद दिहानी के लिए नबियों का सिलसिला शुरू फरमाया और अंबिया दुनिया में आकर फिटना फसाद को दूर करते हैं और allah tala ki marifat करवाते है अब इनमें से बाज नेक बख्त लोगो ने अंबिया की बात को माना और शरीयत की मुताबिक जिंदगी गुजारी और बाज बदबख्तो ने अंबिया की बात को जुटलाया और इनकी बात को नहीं माना ये सिलसिला चलता रहा, हट्टा के आखिर में हमारे पैगंबर जनाब muhammad rasulullah sallallahu alaihi wasallam भी आए इनके साथ भी यही मुआमला हुआ ,बाज लोगो की खुश किस्मती है के इन लोगो ने आप sallallahu alaihi wasallam की dawat पर लब्बैक कहा और बाज लोगो ने इंकार कर दिया और बात को नहीं माना ,

rasulullah sallallahu alaihi wasallam ने sahaba e kiram r.a.पर सब से ज्यादा मेहनत iman को बनाने में की थी और iman ही तमाम चीजों की बुनियाद है एक आदमी को दुनियां में तमाम neamat मील जाए और iman नशीब न हो तो उसके लिए मेहरूमी ही महरूमी है ,और अगर एक आदमी को दुनियां की कोई neamat न मिले सिर्फ iman ki doulat मील जाए तो इसके लिए कामयाबी ही कामयाबी है,

Quran shareef की बेशुमार आयते huzur sallallahu alaihi wasallam की hadees Sharif से मालूम होता है जिंदगी जैसी होगी वैसे ही इसकी मौत आएगी अगर ईमान वाली जिंदगी गुजरेगा तो मौत भी iman पर होगी,और अगर जिंदगी imaan our Amal के बगैर गुजारी है तो मौत भी iman के बगैर आएगी हां, ऐसे waqiyat भी वाकई हुए है के iman our Amal वाला कुफ्र की हालत में मरा है लेकिन ये बहुत कम हुआ हैं इस लिए एक hadees e Pak में आता है जिसका खुलासा ये है की एक आदमी ईमान के साथ aamal करता करता इस हद तक पहुंच जाता है jannat तक पहुंचने में सिर्फ एक बालिस्ट बाकी है फिर उसकी बदबख्ती गालिब आजाती है जिसकी वजह से कुफ्र में मुबतला हो जाता है और जहन्नम में पहुंच जाता है और एक आदमी बुरे aamal करता करता इस हद तक पहुंच जाता है के jahannam तक पहुंचने में सिर्फ एक बालिस्ट बाकी है फिर इसकी nekbakhti गालिब आती है और वह imaan से सरफराज हो कर zannat तक पहुंच जाता है.

(Mishkat sharif 20,)

इसलिए ईमान के बारे में बहुत फिकर मंद रेहनेरकी जरूरत है इस लिए हमे अभी जो अमल करना है वो गस्त वाला अमल है जो नबियों की sunnat है sahaba ki Sifat है और हमारी जरूरत है 

Fazail E Gasht Ke Adaab | Adab E Gasht In Hindi

ये बहुत ऊंचा काम है उसके कुछ उशुल और आदाब भी है अगर इन उसूल के साथ काम करेंगे तो हिदायत वजूद में आएगी insha allah ghast में चार अमल किए जाते है इन चार अमलो का नाम गस्त है 

पहला अमल यह है के यहां बैठ कर कर एक साथी दिन की बात करेगा 

दूसरा अमल dua zikar है, ये अमल पवार हाउस की तरह है इसका जितना ताल्लुक allah रब्बुल इज्जत से होगा इसका असर बस्ती में जाने वाली जमात पर होगा.

तीसरा अमल इस्तिकबाल का हे. इस्तेकबाल वाला साथी मैन दरवाजे के करीब खरा रहे और वसीअ नियत के साथ खरा रहे के अभी पूरी बस्ती भी मस्जिद में आ जाएगी तो में उन सभी का इकराम के साथ इस्तेकबाल करूंगा.

चोथा काम ये है के बस्ती में जमात जाएगी ,उसमे कम से कम और ज्यादा से ज्यादा दस आदमी हो, इनमे से एक साथी रहबर होगा, और एक अमीर होगा और एक मुतकल्लिम.

जब जमात masjid से निकले तो सब से पहले काम अमीर साहब का शुरू होता है वो सब से पहले मुख्तसर दुआ कराते हुए,अल्लाह की मदद तलब करते हुए निकले इस लिए के हमारे करने से कुछ नही होता है सब कुछ अल्लाह ही करते है और साथियों को रास्ते के एक किनारे पर चलाए,रास्ते में तकलीफ देने वाली चीज को हता दे, नजर नीची हो जब किसी भाई के घर के करीब पहुंचे तो परदे का लिहाज रक्खे और एक तरफ खड़े हो ,

और रहबर भाई का काम यह है के अपने भाई को अच्छे नाम से बुलावे चाहे उसमे 99 बीमारी ही क्यूं न हो अगर साथी आ जाए तो मुशाफा कर के मुतकल्लीम से मिलादे

और मुतकल्लिम भाई का काम ये है के तमाम साथियों की तरफ देख कर iman और ईमान वालो की कीमत बताए और मुख्तसर बात कर के आने वाले साथी को नकद तैयार करे और अगर आने वाला भाई कोई उजर बताए तो उनको फिकर मंद बना कर दिन का दाई बना कर छोड़ दे के जल्दी फारिग हो कर मिलने जुलने वालो को साथ लेकर masjid में पहुंचे और namaz के बाद थोड़ी देर तसरीफ रखना iman our yakeen की बात होगी insha allah 

जब gust खत्म हो जाए तो नदामत के साथ वापस आजाए और astagfirullah पढ़ते हुए वापस आए और मस्जिद में जहा दिन की बात हो रही है उसमे सरीक हो जाए अगर इन उसूलों के साथ काम करेंगे तो हिदायत वुजूद में आएगी insha allah अल्लाह हम सब को उशूल और आदाब के साथ दिन का काम करने की तौफीक अता फरमाए ameen 

Canclusan

दोस्तो आज हमने fazail e gasht in hindi में इस पोस्ट में सीखे मेने अच्छी तरह इस blog post में fazail e gasht को समझाने की कोसिस की है उम्मीद करता हु आप को समझ में आ गया होगा तो आप gasht ke Aadab सिख कर इस अमल को उसूल और आदाब के साथ करने वाले बनेंगे और दूसरो को भी सिखाने के लिए आप इस islamic post को ज्यादा से ज्यादा shere जरूर करेंगे इसी के साथ आज की पोस्ट को यही पर खत्म करते है मिलते है अगली नई blogpost में फिर एक नई deen ki baatein लेकर तब तक अपने भाई को दीजिए इजाजत अपनी दुआ में याद रखिएगा.

Allah Hafiz 


Q-1 गस्त में कितने आमाल होते है ?

गस्त में 4 अमल होते इस्तेकबाल, दुआ, इमान यकीन की बात और बस्ती में गस्त

Q-2 गस्त के अमल में कितनी साथी होने चाहिएं?

गस्त के अमल में कम से कम तीन साथी और ज्यादा से ज्यादा दस साथी होते है.

Q-3 गस्त के अमल में रेहबर भाई का काम क्या है ?

रेहबर भाई मकामी होना चाहिए बस्ती के हर घर के हर आदमी को जानने वाला होना चाहिए, रेहबर भाई का काम यह है के अपने भाई को अच्छे नाम से बुलाए और मुतकल्लिम से मिलाए.

Q-4 गश्त के अमल में मुतकल्लिम भाई का काम क्या है?

मुतकल्लिम भाई का काम ये है के आने वाले भाई की खैर खैरियत पूछे और ईमान यकीन की मोटी मोटी बाते बताए और मस्जिद में जो इमान यकीन की बात चल रही है उसकी दावत दे अगर कोई उजर बताए तो उनके उजर का हल बताए और अगर फिर भी कोई उजर बताए तो दिन का दाई बना कर छोड़ दे.

Q-5 गश्त के अमल में अमीर साहब का काम क्या है ?

अमीर साहब का काम यह है के मस्जिद से जो जमात गश्त के लिए जा रही है उसे दुआ कर के अल्लाह की मदद सामिल करते हुए गश्त के लिए निकले ,साथियों को रास्ते के एक किनारे पर चलाए जीकर के साथ चलाए किसी के घर के सामने खड़े न रहे,रास्ते में कोई तकलीफ देने वाली चीज हो उसे हटाए और आखिर में नदामत के साथ अस्तगफार पढ़ते हुए वापस आए और मस्जिद की बात में जुड़ जाए.



एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने