Shaban Ke Mahine Ki Fazilat | Shaban Ki Fazilat In Hindi

दोस्तो आज हम shaban ke mahine ki fazilat क्या है और शाबान का महीना में हमे क्या क्या अमल करने चाहिएं और आने वाला महिना shaban ki fazilat को हिंदी में जानेंगे इस महीने में एक रात आने वाली है जिसको shab e barat कहा जाता है तो हम इस islamic blog post में शबे बरात की फजीलत क्या है ये भी hadees ki roshni में सीखेंगे तो दोस्तो ज्यादा देर न करते हुए आज का islamic artical जिसका टॉपिक है shaban ke mahine ki fazilat इसको हम allah tala का नाम लेकर शुरू करतें है.

shaban ke mahine ki fazilat

Shaban Ke Mahine Ki Fazilat | Shaban Ki Fazilat In Hindi

Shaban के महीने को अल्लाह ताला ने बहुत फजीलत, एहमियत, करामात शराफत अता फरमाई है किसी भी महीने को fazilat हासिल होने की वजह allah tala ki खास तजल्ली और barkat का उसमे नाजिल होना है लेकिन बाज दूसरी वजह भी है जो दूसरे दर्जे में फजीलत की हकदार बन जाती है rasulullah sallallahu alaihi Wasallam ने शाबान के महीना के barkat फरमा ने की dua फरमाई है ओर muhammadur rasulullah sallallahu alaihi wasallam इस के महीने में कसरत से shaban ke mahine ke roze नफील रक्खा करते थे, और shaban ki tarikh का और इस महिने के चांद का ख़ास एहतमाम करते थे.

ये वो महीना ही जिसमे बंदों के आमाल allah tala की बारगाह में उठाए जाते है और ये महीना रमजान के करीब ही आता है यानी के shaban का महीना खत्म होने के तुरंत बाद ramzan mubarak का महीना शुरू हो जाता है गोया के shaban ka mahina रमजान मुबारक के महिने की तैयारी के लिए आता है और यही वो महीना है जिसमे एक बरकत वाली रात आती है जिसे shab e barat कहा जाता है इन्ही जेसी वुजुहाट के लिए इस महीने को shaban ul muazzam कहा जाता है और शाबान की दुआ कुबूल होती होती 

बहर हाल shaban ka mahina बड़ी fazilat और अजमत वाला महिना है इस लिए शाबान के महीने की हर मुसलमान को इस महीने की कदर करनी चाहिए और इसके मुताबिक शरीयत के हुक्म का इल्म होना चाहिए .

शाबान के महीने की फजीलत

Mahe Rajab Ki Dua | Rajab Ki Dua

Muhammad sallallahu alaihi wasallam जब rajab ka chand देखते और rajab के महीने में दाखिल होते तो ये dua पढ़ते थे 

اللَّهُمَّ بَارِكْ لَنَا فِي رَجَبَ وَ شَعْبَانَ وَبَلِّغْنَا رَمَضَانَ

Dua ka tarjuma ए अल्लाह हमारे लिए रजब और शाबान के महीने में बरकत अता फरमा और जान हमे रमज़ान के महिने तक सलामती के साथ पहुंचा दीजिए.

यानी इन महीनो में हमारी ibadat में बरकत अता फरमा और हमारी उम्र लंबी कर और हैं रमज़ान तक पहुंचा दीजिए टाके रमजान के आमाल रोजा, तरावीह की शआदत हासिल कर सके जिस से shaban ka mahina का बरकत वाला होना साबित हुआ.

Shaban Ke Mahine Ki Fazilat Hadees

hazrat abu hurairah (r.a) से रिवायत है के allah ke rasool ne farmaya रमजान के सही हिसाब की गर्ज से shaban ka chand और इसकी तारीख को खूब महफूज रख्खो 

हजरत राफेह बीन खड़ीजा r.a. की सनद से rasulullah sallallahu alaihi wasallam का यह इरशाद मरवी है के तुम रमजान के लिए shaban के दिनो को सही सुमार कर के रख्खो, रमज़ान का महीना शुरू होने से पहले रोजा न रख्खो पस तुम चांद देखलो तो रोजा रख्खो और जब चांद देखलो तो रोजा रखना छोड़ दो और अगर तुम पर मौसम ए अबर आलूद हो जाए जिसकी वजह से चांद न देख सको तो तुम तीस दिन पूरे कर लो फिर इसके बाद रोजा रखना छोड़ दो क्युकी महिना इस तरह इस तरह इस तरह होता है.

महिना इस तरह इस तरह होने का मतलब यह है के महिना कभी उनतीस का होता है कभी तीस का होता है अगर शरीयत के उसूल के मुताबिक उनतीस के चांद की रिवायत हो जाए तो उनतीस दिन का वरना तीस दिन का होता है जिसकी दूसरी hadees Sharif में तफ्सील आई है.

hazrat ayesha razi allah tala अन्हा से रिवायत है के nabi muhammad rasulullah sallallahu alaihi wasallam शाबान के चांद और इस महीने की तारीखों की हिफाजत का जितना एहतेमाम करते थे उतना एहतमाम किसी और महिने के चांद का नही करते थे ,रमजान का चांद देख कर रमज़ान के रोजे रखते थे और अगर 29 shaban का चांद दिखाई नही देता था तो 30 shaban के दिन पूरे करते थे फिर रमजान के रोजे रखते थे.

यानि rasulullah sallallahu alaihi wasallam रमजान के एहतमाम की वजह से शाबान का चांद देखने और उसकी तारीखे याद रखने का खास एहतमाम फरमाते थे.

इस किस्म की hadees Sharif से मालूम होता है के रमज़ान के खातिर शाबान का चांद देखने और उसकी तारीखे भी याद रखने की भी खास फिक्र करनी चाहिए और जब शाबान के महीने के 29 दिन हो जाए तो रमजान का चांद देखने की पूरी कोशिश करनी चाहिए 

क्यूंकि इसके खिलाफ अमल करने की सूरत में रमजान का हिसाब करने में गलत फहमी पैदा हो जाती है बाज मर्तबा कई फिट ने और खराबी या पैदा हो जाते है 

इस hadis से ये मालूम हुआ के shaban ka mahina शुरू होते है रमज़ान की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए. शाबान क्युकी रमजान के महीने का मुकद्दम और तमहीद है इस लिए शाबान के महीने में नफल रोजा , Quran shareef की तिलावत और दूसरी ibadat का एहतमाम कर के रमज़ान की तैयारी करना मुस्तहब है.

(majlisul abrar)

                                Shaban Ki Fazilat Pdf

Mah E Shaban Ki Fazilat In Hindi

hazrat ayesha razi allah tala अंहा से रिवायत है के rasulullah sallallahu alaihi wasallam कभी नफिल रोजे इतनी कसरत से रखते थे के हम कहते थे के अब आप रोजा रखना खत्म ही नहीं करेंगे और कभी नफल रोजे न रखते पर आते तो हम कहते अब आप नाफिल रोजा न रखेंगे, और मैने rasulullah sallallahu alaihi wasallam को रमज़ान के अलावा किसी और महिने के मुकम्मल रोजे रखते हुए नही देखा और मेने रसूलल्लाह सल्लाहू अलैहि वसल्लम को शाबान के अलावा और किसी महीने में कसरत से नफिल रोजे रखते हुए नही देखा.

दोस्तों इस hadees की शुरआत के जुमलो का मतलब ये है के रशुलल्लाह सल्लहु अलैहि वसल्लम हमेशा नफिल रोजा नही रखते थे बल्कि इस सिलसिले में रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मुबारक अमल ये था के कभी तो लगातार काफी अर्से तक नफिल रोजा रखते थे यहां तक के रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की रोजो की कसरत और पाबंदी को देख कर लोग समझते थे के अब नफिल रोजे रखने का ये सिलसिला सायद आप कभी खत्म नहीं करेंगे.

और कभी ऐसा होता रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम काफी अर्से तक नफिल रोजा रखते ही न थे यहां तक के लोग सोचते के सायद आप अब नफिल रोजे रखेंगे ही नहीं ,

रमजान के पूरे महीने के अलावा रशूलल्लाह सल्लाहु अलैहि वसल्लम साबान के महीने में रोजा रक्खा करते थे 

Shaban Ke Roze Ki Fazilat

हजरत आयशा रज़ी अल्लाह अनहा इरशाद फरमाती है रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को नफिल रोजे रखने के एतबार से शाबान का महीना ज्यादा पसंद था बल्कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम शाबान के रोजे रमज़ान के महीने तक रखते थे.

फायदा:-मतलब यह है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम शाबान के महीने के अक्षर दिनों में रमजान का महीना शुरू होने तक शाबान के महीने के रोजे रखते थे.

और कुछ हजरत क्या कहना है के rasulullah sallallahu alaihi wasallam एक साल शाबान के पूरे महीने के रोजे और दूसरे साल शाबान के महीने के अक्षर दिनों में रोजे रखते थे.

Canclusan

दोस्तों आज हमने shaban ke mahine ki fazilat और Shaban Ke Roze Ki Fazilat पढ़ी अब हमारे सामने शाबान का महीना आने वाला है तो हम भी हमारी हिम्मत के मुताबिक रोजे रक्खे और इस महीने में कुरान की तिलावत,नाफिल नमाज का एहतमाम और इबादत में वक्त गुजारे उम्मीद करता हु जिस deen ki baatein सीखने के लिए आप इस islamic blog post पर आए हो वो islamic knowledge आप को मिल गया होगा आप अपनी राय कॉमेंट करे इसी के साथ आज की blog post को खत्म करते है अपनी dua में याद रक्खे 

Allah hafiz 

FAQ

Q-1 क्या शाबान में रोजा रखना जायज है?

हा शाबान के महीने के रोजा रखना जायज है लेकीन पूरा महिना रोजा न रक्खे लेकिन कुछ दिन रक्खे कुछ दिन छोड़े अगर हम शाबान का महीना पूरा रोजा रखेंगे तो कमजोरी आजेयेगी तो कही ऐसा न हो के रमाज़न के रोजे जो फर्ज है कही वो न छूट जाए इस लिए शाबान में कुछ दिन रोजा रखे और कुछ दिन रोजा न रक्खे.

Q-2 शाबान के महीने में कितने दिन का व्रत रखना चाहिए?

वैसे तो जितना दिन चाहे अपनी ताकत के मुताबिक रोजा रख सकते है लेकिन उलमा और मुफ्ती साहब की राय है के शाबान के महीने में 13, 14और 15 का रोजा रक्खे तो बेहतर है या सिर्फ 15 शाबान का रोजा रखे तो भी बेहतर है.

Q-3 रजब का चांद देख कर रमज़ान तक हुजूर कोंसी दुआ पढ़ते थे?

रजब का चांद देख कर हुजूर स.अ.व ये दुआ रमज़ान तक पढा करते थे اللَّهُمَّ بَارِكْ لَنَا فِي رَجَبَ وَ شَعْبَانَ وَبَلِّغْنَا رَمَضَانَ

Q-4 रजब के महीने में पढ़ी जाने वाली दुआ का क्या अर्थ है ?

रज्जब के महीने में पढ़ी जाने वाली दुआ का अर्थ ए अल्लाह हमारे लिए रजब और शाबान के महीने में बरकत अता फरमा और जान हमे रमज़ान के महिने तक सलामती के साथ पहुंचा दीजिए.

Q-5 शाबान महीने की फजीलत की हदीस क्या है ?

hazrat abu hurairah (r.a) से रिवायत है के allah ke rasool ne farmaya रमजान के सही हिसाब की गर्ज से shaban ka chand और इसकी तारीख को खूब महफूज रख्खो






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